तीस हजारी कोर्ट ने 70 वर्षीय महेंद्र सिंह को 2020 में डॉगी पर एसिड फेंकने के मामले में दोषी ठहराया है और एक साल की साधारण कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। यह घटना फरवरी 2020 की है, जब महेंद्र ने श्रमिक उर्फ राशिका के डॉगी पर एसिड फेंका, जिससे उसकी एक आंख की रोशनी चली गई।
न्यायाधीश ने महात्मा गांधी के उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा, “मेरे विचार में, मेमने का जीवन किसी इंसान से कम कीमती नहीं है। मैं किसी के जीवन को मानव शरीर की खातिर नहीं लूंगा। जो प्राणी जितना असहाय होता है, वह मानव क्रूरता से सुरक्षा का उतना ही अधिक हकदार होता है।”
घटना की रिपोर्ट 7 फरवरी 2020 की रात को दर्ज की गई, जब ओमवती उर्फ राशिका ने देखा कि महेंद्र ने उनके डॉगी की आंखों, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर एसिड फेंका। महेंद्र ने आगे आकर डॉगी को जान से मारने की धमकी भी दी। एसिड की तीव्रता के कारण डॉगी की एक आंख की रोशनी चली गई। यह आरोपी पहले भी कई डॉगी पर इस तरह के हमले कर चुका था, लेकिन शिकायत दर्ज नहीं की गई थी।
पहाड़गंज पुलिस ने आईपीसी की धारा 429 (पशु की कीमत 50 रुपये से ज्यादा हो, उसे अपंग करने) और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। शिकायतकर्ता की वकील, एडवोकेट रिदम शील श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपी के वकील ने 70 साल की उम्र, पत्नी और बेटे की चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए नरमी की मांग की। मैजिस्ट्रेट रिचा शर्मा ने इस घटना को “अंतरात्मा को झकझोरने वाला और रोंगटे खड़ा कर देने वाला” करार दिया और कहा कि डॉगी की आंख की रोशनी का जाना एक अत्यंत गंभीर मामला है।
यह मामला देश में डॉगी पर हमले के मामलों में सजा मिलने का पहला उदाहरण हो सकता है। सामान्यतः इन मामलों में शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो जाता है। इस केस में आरोपी को सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील करने का समय दिया गया है और उसे जमानत पर रिहा किया गया है।